जिसके अंदर सच्चाई है, वही खुद ईश्वर स्वरूप है !
( भाग : – १ )
✍️ २१९७
विनोदकुमार महाजन
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आप सभी के अंदर, अगर सच्चाई है, तो आप खुद ईश्वर स्वरूप ही हो !
कैसे ?
सत्य ईश्वर के ह्रदय से निर्माण होता है ! और यही सत्य हर सत्यवादीयों के अंदर भी होता है !
जो पवित्र और शुध्द आत्माएं है,
उनके अंदर निरंंतर सत्य का वास होता है !
और जहाँ सत्य होता है, वहाँ पर सर्वोच्च पवित्र प्रेम,दया,क्षमा,शांति, अहिंसा,परोपकार,समर्पित भाव,समर्पित प्रेम, पशुपक्षीयों पर प्रेम होता है ! ईश्वरीय सिध्दांतों पर चलनेवाले सभी पवित्र आत्माओं के अंदर, ईशत्व होता है ! जो निरंंतर वैश्विक कल्याण, मानवता,वैश्विक बंधुत्व से निरंंतर संलग्न रहता है !
और यही तत्वज्ञान हमारा आदर्श,
अनादि – अनंत काल से चलता आया, ईश्वर निर्मित
” वैदिक सनातन हिंदु धर्म ! ”
ही सिखाता है !
इसिलिए,
परपीडा, परदु:ख देखकर, आपके अंदर करूणा के भाव निर्माण होते है,किसी दुखितोंको आधार देने के लिए, आपका मन सदैव तडपता रहता है, तो समझिए, आपके अंदर, निरंंतर ईश्वर है,और वह जागृत भी है !
दूसरों के प्रति सदैव दयाभाव, करूणाभाव,वात्सल्य ,प्रेम,
ममत्व,आपके अंदर है तो आप निश्चित ही ईश्वर स्वरूप ही हो !
और परम कृपालु और दयालु ईश्वर ऐसे ही महात्माओं पर सच्चा प्रेम करता रहता है ! उसके ह्रदय में निरंंतर रहता भी है ! और ऐसे महान व्यक्तियों को खुद जैसा, व्यापक ईश्वर ही बना देता है !
इसिलिए सत्याचरण करनेवाले, मेरे सभी मित्रों के अंदर ईशत्व ही जागृत है ! ऐसे सभी मित्रों को मेरे कोटि प्रणाम !
दिव्यात्मानुभूती और आत्मसाक्षात्कार भी ऐसे पवित्र मन आत्माओं को ही होती है !
जो ईश्वर का एक वरदान है !
क्या आप सभी के अंदर भी ईश्वर है ?
जरा अंदर टटोलकर तो देखो !
शुध्द और पवित्र आत्मतत्व, आपके अंदर भु खचाखच ,भरा हुआ है – इसकी दिव्यात्मानुभूती आपको निरंंतर मिलती रहेगी !
और…?
आत्मतत्व से आप और हम सभी निरंंतर जुडे हुए है,इसकी भी दिव्यात्मानुभूती मिलती रहेगी !
इसीलिए तो आप सभी मेरे ही अंदर हो,और मैं आप सभी के अंदर ! पशुपक्षीयों में और संपूर्ण ब्रम्हांड में भी हमारा ही आत्मतत्व व्याप्त है !
सत्यवादीयों को ही ईश्वरी कृपा प्राप्त होती है ! और सत्यवादी ही ईशत्व प्राप्त करके,सृष्टी का अखंड कल्याण भी करने में सक्षम होता है !
सो अहम्….यही भाव आत्मकल्याणकारी और विश्वकल्याणकारी होता है !
आप भी राम !
मैं भी राम !
इसिलिए मेरे प्यारे सभी सत्यवादी,सत्यावलंबी मित्रों,
चलो चलते है…सब मिलकर… एक साथ… नये युग की ओर !
नवसमाज निर्माण की ओर !
ईश्वरी सिध्दातों की ओर !
ईश्वर के कानून की ओर !
सत्य सनातन धर्म की ओर !
अगर आप सभी ईश्वरी अंश हो,ईश्वर स्वरूप हो या ईश्वर से एकरूप हो गये हो..तो…?
हमारे सिध्दांतवादी वैश्विक कार्यों में हमें कौन रोक सकता है ?
विस्तृत विवेचन अगले लेख में !
हरी ओम्
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