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सभी समस्याओं का एकमेव रामबाण 🏹 इलाज : – ठंडा दिमाग !
✍️ २१६८

विनोदकुमार महाजन
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अब दुनियादारी बिल्कुल बदल गई है !
ईश्वर की खोज,ईश्वर प्राप्ति, अंतिम सत्य की खोज,मनुष्य जन्म का उद्देश्य… यह सभी बाते मनुष्यप्राणी लगभग भूल सा गया है !
और शायद…पैसों की खोज
यही जीवन का अंतिम उद्दीष्ट भी बन गया है !
लगभग सभी को पैसा चाहिए !
पैसा ही पैसा चाहिए !
और उसके द्वारा मिलनेवाली सभी सुखसुविधाएं भी ! और ऐशोआराम का जीवन भी !
फिर पैसा चाहे भले मार्ग का हो,अथवा बुरे मार्ग का हो !
आखिर सभी को चाहिए तो पैसाही !
और इसी के लिए ही जीवन की सारी खटपट और लटपट है !

ठीक है !
आखिर पैसा तो चाहिए ही चाहिए !
सुखी जीवन के लिए !
सभी दुखों पर मात करने के लिए !
और…
जीवन जीने के लिए भी !
पैसा तो जरूरी है ही है !

मगर एक बात भी पक्की है की,
पैसा ही सबकुछ नहीं है !
नाही जीवन का अंतिम उद्दीष्ट भी पैसा है !
मगर फिर भी पैसा तो चाहिए ही !

मगर पैसा चाहिए तो संन्मार्ग का ही चाहिए !
और संन्मार्ग से तो मनचाहा पैसा मिलता ही नहीं है !
तो आखिर पैसा कमाने के लिए करेंगे क्या ?
पैसा कमाने की होड !
भयंकर होड !
संघर्ष !
अनगिनत संघर्ष !
दिनरात संघर्ष !
और उसके द्वारा निर्माण होनेवाला… टेंशन, तान – तनाव – और कर्जापाणी !
इसी से निर्माण होनेवाली,
रिश्तों की दरारें !
सामाजिक संघर्ष और कलह !
और उसी द्वारा निर्माण होनेवाला विस्फोट,उद्रेक, मन की बेचैनी और अशांति !
और सामाजिक असंतुलन !
परिणाम ?
सामाजिक संघर्ष !
कटुता !

मगर इन सभी समस्याओं का आखिर इलाज क्या है ?
यह पैसों का दिनरात चलनेवाला खेल कबतक चलेगा ?

सभी समस्याओं का एक ही उत्तर है !
रामबाण इलाज !
” ठंडा दिमाग ! ”
” कूल माईंड ! ”
अनेक जटिल समस्याओं का निराकरण ठंडे दिमाग से होता है !

मगर अनेक समस्याओं के कारण दिमाग ठंडा रहता ही नहीं है ! तो आखिर करें तो क्या करें ?

दिमाग ठंडा न रहने के कारण मानसिकता भी खराब होती है !
टेंशन के कारण अनेक बिमारियां भी हो सकती है !
और टेंशन वाला…पुरूष…
इसपर विजय प्राप्त करने के लिए, पर्याय ढुंडने लगता है !

कभी भयंकर चिडचिडापन !
उद्वेग ! और बढता हुवा कौटुम्बिक संघर्ष !

और फिर ?
नशापाणी का आरंभ ?
दारू,बिअर,गांजा, अफिम, चरस,हेराँइन जैसे मादक पदार्थों का सेवन ?
सिगरेट, तमाकू जैसी व्यसनाधिनता ?

और वैफल्यग्रस्तता ?
तनाव के कारण अनेक बार आत्महत्या का भी प्रयास किया जाता है ?

ईश्वर ने मनुष्य प्राणी को बुध्दि का वरदान दिया हुवा है !
और उसी बुध्दि का द्वारा, सद्सद्विवेक जागृत करके,सभी समस्याओं का यथोचित हल ढुंडने का इलाज भी ईश्वर ने हमारे ही दिमाग में भरा हुआ है !
मगर, मनुष्य यही बात भूलता है !और ? गलत रास्ते अपनाता है ! और जीवन बर्बाद कर देता है !

तो दिमाग सदैव ठंडा रखने के लिए… आखिर रामबाण 🏹इलाज भी क्या है ?
इलाज है !

आध्यात्मिक साधना !
ईश्वरी चिंतन !
गुरूमंत्र का निरंंतर जाप !
निरंंतर ईश्वरी साधना !
अथक !
और इसीके द्वारा ही जीवन की लडाई जीतने के लिए, जो चाहिए वह साध्य करने के लिए, जीवन का उद्दीष्ट साध्य करने के लिए, ईश्वरी साधना ही अंतिम उत्तर है !

ईश्वरी साधना, खडतर तपश्चर्या द्वारा अशक्यप्राय लगने वाली सभी मनोकामनाएं भी शक्य होने लगती है !
चमत्कार भी होते है !
लक्ष्य प्राप्ती भी होती है !
सभी सुखों की निरंतर वर्षा भी होती रहती है !
और दिमाग… निरंंतर… ठंडा भी रहता है !
जीवन में जो चाहिए वह हासिल करने के लिए, हमारी मानसिकता भी तैयार होती है !

मेरा खुद का अनुभव है !
आप भी अनुभव करके देखिए !

सुख – समृद्धि – वैभव -आराम – मन की शांति – यश – किर्ती – मान – संन्मान – चैतन्य – विश्वोध्दार – विश्वव्यापकता – सफलता -कार्यसिद्धि सभी का भंडार तो हमारे ही अंदर,दयालु ईश्वर ने, कुटकुटकर भरा हुवा है !
खजाना है हमारे अंदर खजाना !
अरे मनुष्य प्राणी,इसी खजाने को जरा खोलके तो देख !
संपूर्ण ब्रम्हांड अंदर पडा हुवा है !
तुझे जो कुछ भी चाहिए, वह सबकुछ तो तेरे ही अंदर तो भरा हुआ है !
आँखें खोल प्राणी !
आँखें खोल !
चर्मचक्षु नहीं, ज्ञानचक्षु खोल पगले !
तुझे जो भी चाहिए वह सबकुछ मिलेगा !
मिलकर रहेगा !

मगर…
यह कोई एक दो दिन में साध्य होनेवाला खजाना नहीं है पगले !
यह एक दो दिन का खेल नहीं है !
निरंंतर प्रयास, लगन,कडी मेहनत, सद्गुरु के प्रती अतुट श्रद्धा, ईश्वर के प्रती निरपेक्ष प्रेम ही…और खडतर तपश्चर्या ही तेरे जीवन का वरदान है प्यारे !

इसिलिए ?
राम नाम रट ले प्राणी !
राम नाम ही है तेरा तारणहार !
यही करेगा तेरा बेडापार !
जय जय श्रीराम !!!

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