साथी हाथ बढाना साथी रे !
साथी हाथ बढाना साथी रे !
एक अकेला थक जायेगा, मिल के बोज उठाना।
साथी हाथ बढाना।
आवो साथीयों, हम सब मिलकर ईश्वर की धरती को स्वर्ग जैसा सुंदर बनाते है।
माता धरती और माता भारती को सुजलाम सुफलाम बनाते है।पशुपक्षीयों की,जंगल पेडों की,जीवजंतूओं की रक्षा करते है।
सभी के जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ, आनंद ही आनंद निर्माण करते है।
साथी हाथ बढाना।
मेरे लेखों को भी आगे बढाना।
अब पढो,सुंदर कथा।
लघु कथा
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एक बार एक पक्षी समुंदर में से चोंच से पानी बाहर निकाल रहा था। दूसरे ने पूछा भाई ये क्या कर रहा है। पहला बोला समुंदर ने मेरे बच्चे डूबा दिए है अब तो इसे सूखा कर ही रहूँगा। यह सुन दूसरा बोला भाई तेरे से क्या समुंदर सूखेगा। तू छोटा सा और समुंदर इतना विशाल। तेरा पूरा जीवन लग जायेगा। पहला बोला *देना है तो साथ दे*। सिर्फ़ *सलाह नहीं चाहिए*। यह सुन दूसरा पक्षी भी साथ लग लिया। ऐसे हज़ारों पक्षी आते गए और दूसरे को कहते गए *सलाह नहीं साथ चाहिए*। यह देख भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी भी इस काम के लिए जाने लगे। भगवान बोले तू कहा जा रहा है तू गया तो मेरा काम रुक जाएगा। तुम पक्षियों से समुंदर सूखना भी नहीं है। गरुड़ बोला *भगवन सलाह नहीं साथ चाहिए*। फिर क्या ऐसा सुन भगवान विष्णु जी भी समुंदर सुखाने आ गये। भगवान जी के आते ही समुंदर डर गया और उस पक्षी के बच्चे लौटा दिए।
आज इस संकट के समय में भी देश को हमारी सलाह नहीं साथ चाहिए। आज सरकार को कोसने वाले नहीं समाज के साथ खड़े हो कर सेवा करने वाले लोगों की आवश्यकता है। इसलिए सलाह नहीं साथ दें।
*जो साथ दे दे सारा भारत, तो फिर से मुस्कुरायेगा भारत*।
हरी ओम्
संकल्पना : – विनोदकुमार महाजन
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