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धर्म की जय हो…

*ऊर्ध्वबाहुर्विरौम्येश न च कश्चिन्छृणोति मे ।*
*धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते ।।*

*भवार्थ:-* मैं दोनों हाथ ऊपर उठाकर पुकार-पुकारकर कह रहा हूँ, पर मेरी बात कोई नहीं सुनता । धर्मसे मोक्ष तो सिद्ध होता ही है अर्थ और काम भी सिद्ध होते हैं तो भी लोग उसका सेवन क्यों नहीं करते।
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ईश्वर को अपना “न्यायाधीश” मानने वाला व्यक्ति जिंदगी का हर मुकदमा जीतता जरुर है वह भी नि:शुल्क बस “न्यायाधीश” के संविधान पर विश्वास होना चाहिए।
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*अहिंसा परमोधर्मः धर्म हिंसा तथैव च।, यतो धर्म: ततो जय:, शस्त्रमेव जयते, शठे शाठठ्यम् समाचरेत्।* *सनातन धर्म सर्वोपरि।*
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*🚩🚩🕉🕉जय श्री राम जी जय हनुमान जी 🕉🕉🚩🚩🚩*

संकलन : – विनोदकुमार महाजन
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