Thu. Oct 17th, 2024

राक्षसों से प्रेम नहीं, बहिष्कार किया जाता है…

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राक्षसों से प्रेम नही,बहिष्कार किया जाता है।
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साथीयों,
दुष्टों से,राक्षसों से कितना भी प्रेम करें,सहयोग करें….वह हमारा बुरा ही सोचेगा, बुरा ही करेगा।
इसीलिए राक्षसों पर जो विश्वास, सहयोग करता है…समझो उसका सर्वनाश तय है।

साँप को कितना भी दूध पिलाओ,आखिर वह जहर ही उगलेगा..अमृत नही…और मौका मिलते ही डसेगा ही।

अतएव सावधान।
चौबिसों घंटे सावधान।

विशेषता आजादी के बाद भयंकर जहरीले राक्षसों को इस देश में आश्रय दिया…और यह राक्षस देशवासियों को ही सदैव जहरीले साँप जैसे डसते रहे।यहाँ बर्बादी करते रहे,बाँम्बस्फोट करते रहे..।और हमारे तबाही का सपना देखते रहे।

ये घुसपैठिए चाहे रोंहिंग्या हो,बांग्लादेशी हो,पाकिस्तानी हो…हमारा खाकर, हमारे टैक्स के पैसों से जीकर,हमें ही नेस्तनाबूद करने का सपना देखते है…और बारबार ऐसा ही कुकर्म करते रहते है।

ऐसे कुकर्मीयों को किसने पालापोसा ?

मेरी बात सही है या नहीं ?
या मैं गलत लिख रहा हूं ?

दूसरी एक महत्वपूर्ण बात यह भी है की,सुबह से शाम तक हमें केवल और केवल परेशान करने के लिए, देश की शांति समाप्त करने के लिए, स्पीकर लगाकर… जानबूझकर जोरजोरसे चिल्लाते है।

उनसे प्रेम नहीं…
साथियों…
संपूर्ण असहयोग करो।

हो सके तो उसी समय में ,उसीके सामने मठ – मंदिर या किसी घर पर बडा और उंचे स्थान पर,स्पीकर लगाकर, उनसे दुप्पट आवाज में….शहनाई वादन,मंगल आरती,हनुमान चालीसा ,भजन जैसे मंगल कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा तो…
कर्णकर्कश्य…आवाज कानों पर पडने के बजाए… सुमधुर, सुमंगल संगीत से वातावरण शुध्दि हो जायेगी।
और जानबूझकर पिडा देनेवालों को विचार करने के लिए…. समय भी मिल जायेगा।

राक्षस…..???
समझे ना आप ?
इनको प्रेम की नहीं बल्कि संपूर्ण बहिष्कार की ही भाषा समझती है।तभी उनका उन्मादी, उपद्रवी दिमाग ठिकाने पर आता है।

विशेषता राक्षसों को बडा करने में हमारे ही कुछ लोग सहयोग कर रहे है…ऐसे नमकहरामों का भी संपूर्ण सामुहिक.. सामाजिक बहिष्कार करना ही उचित होगा।

रोंहिंग्या, बांग्लादेशी, पाकिस्तानी घुसपैठियों की अगर कमर तोडनी है तो…उनका संपूर्ण आर्थिक बहिष्कार यही एकमात्र रामबाण उपाय है।ऐसा करने से घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए.।.कोई विशेष प्रयास नहीं करना पडेगा।खुद बखुद यह देश छोडकर भाग जायेंगे।

हमारे ही पैसों से,टैक्स से हमारा ही सर्वनाश करने का सपना देखने वालों को हम क्यों और कितने दिनों तक पालते पोसते रहेंगे ?

मँनमार,श्रीलंका और ऐसे अनेक देशों में यह मात्रा उपयोगी साबित हो रही है।

तो…..???
आज से,अभी से…
राष्ट्रद्रोहियों का संपूर्ण बहिष्कार।

मगर इनको पहचानेंगे कैसे ?
यह तो हमारे जैसा बनकर ही हमारे अंदर घुलमिल जाते है और इन्हें पहचानना भी मुश्किल हो जाता है।

चिंता मत करना साथियों,
थोडे ही दिनों में हमारे प्रखर राष्ट्राभिमानी योध्दाओं द्वारा हर गली,गांव, शहरों में…हर जगहों पर आप सभी को उचित जानकारी देनेवाले लाखों मार्गदर्शकों की नियुक्ति कि जायेगी…वह सभी राष्ट्राभिमानी योध्दा आपको सही गलत का ज्ञान देंगे।
और यह कार्य हर जगहों पर चौबीसों घंटे आपको सहयोग तथा मार्गदर्शन करने के लिए तत्पर रहेगा।

हमारे लोगों को सच्चाई – अच्छाई के बारें में जानकारी देने के लिए कटिबद्ध रहेगा।आपकी सभी समस्या निराकरण, मतदान का अनमोल अधिकार का सदुपयोग यही बताया – सिखाया जायेगा।

हमने देखा,
चार राज्यों के चुनावों में हमारे ही अनेक लोग उदासीन रहे है।ऐसे उदासीन लोगों के कारण…नवराष्ट्र निर्माण के कार्यों में बाधाएं आ सकती है।

इसीलिए संपूर्ण परिवर्तन के लिए, भ्रष्टाचार मुक्त, असुर मुक्त भारत के लिए…

हमारी निती को अमल में लाने के लिए…
हमे मोदिजी, अमीत शाहजी,योगीजी जैसे अनेक प्रखर राष्ट्राभिमानी… हमें चौबीसों घंटे सहयोग करेंगे…ऐसी अपेक्षा रखते है।

चलो नये युग की ओर।
हरी ओम्
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विनोदकुमार महाजन

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