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ह्रदय की गहराई

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*वंदेमातरम्*

*हमारे हृदय की अनन्त गहराई का निज उद्बोधनात्मक विचार* RSS प्रचारक मनोज सिंह रावत नागपुर महाराष्ट्र से।
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भारत भूमि ने तो भारत मां के रूप में सभी को आत्मीय वात्सल्य लुटाया है *एक पिता के रूप में संरक्षण दिया है* भाई और बहन के रूप में निजता *ममता और समता के बंधन में बांधा है* मित्र के रुप में सभी को संभाला है *राजा के रूप में प्रत्येक को पाला है* देना और करना ही यहां की रीति रही है *…*…

*इसलिए यह धर्मभूमि है* कर्मभूमि है *देवभूमि है …*…

व्यक्ति धर्म, समाज धर्म और राष्ट्र धर्म का पालन सहजता से यहां होता रहा है *यह धर्म* (कर्तव्य) *का पाठ ही भारत माता की गोद से लेकर गुरु के आश्रम तक और पिता के संरक्षण से लेकर राजा के सिंहासन तक सिखाया गया है …*…

इस त्याग से परिपूर्ण अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित एवम् संवर्धित करते रहना होगा *इसके लिए प्रत्येक भारतीय को गर्व पूर्वक अपना भारतीय नववर्ष मनाना होगा* तभी हमारी बुद्धि विवेक चैतन्यता को प्राप्त होंगे *…*…

यह कार्य करणीय है *अपने राष्ट्र के लिए ll*
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*मनोज सिंह रावत*
*RSS प्रचारक*
*नागपुर महाराष्ट्र*
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