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अगर हमें,हमारे ईश्वरी कार्यों में सफल होना है तो…

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*अगर हमें हमारे ईश्वरी कार्य में सफल होना है तो…*
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काल ,समय बडा बलवान होता है साथीयों।और अगर हमें काल पर विजय हासिल करना है और हमारे ईश्वरी कार्यों में सफलता हासिल करनी है तो…
चौबीसों घंटे सावधान रहना होगा,सतर्क रहना होगा।और बडे निश्चय से और हिम्मत से एक एक कदम हर दिन हमें आगे बढना ही होगा।

केवर दुष्ट लोग ही हमारे रास्ते में बाधाएं डाल सकते है,ऐसा नही तो….
अनेक बिमारीयाँ,आर्थिक परेशानियां अथवा अन्य मार्गों से भी हमें मंजिल तक पहुंचने में बाधाएं उत्पन्न कर सकती है।

रास्ते में ,सफर में विचित्र अपघात होना,काम करते समय साँप – बिच्छू का आगमन अथवा खेतों में अनेक जंगली श्वापदों का उपद्रव होना,ऐसी अनेक प्रकार की बाधाओं को पार करके ही हर पल हमें आगे बढना ही होगा।

इसके लिए अंतिम मुकाम हासिल होने तक बडे स्फूर्ति से खुद को कार्यों में झोंक देना होगा।और दूसरों को भी स्फुर्तीला बनाना होगा।हर एक का आत्मविश्वास, अंदर का आत्मचैतन्य जगाकर, निश्छल और दृढ होकर आगे बढना ही होगा।

हमारे आसपास का वातावरण भी इतना स्फुर्तीला होना चाहिए की,हमें देखकर ही लोगों में चैतन्य जागृती होकर उनको ईश्वरी कार्यों में सहभागी होने के लिए, प्रेरणा मिलनी चाहिए।

हमारे विचार ही इतने उच्च, तेजस्वी होने चाहिए की समाज विनाप्रयास हमारे पिछे खडा होना चाहिए।

तो…
अखंड सावधान होकर, चुस्त और स्फुर्तीले बनकर दिव्य मंजिल की ओर बढने का दृढ संकल्प करते है।

आज से,अभी से।
हरी ओम्
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*विनोदकुमार महाजन*

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