मेरी गौमाता।🐄
———————-
मेरे जीवन एह एक सत्य कथा है।हम जीसे जानवर,पशु कहते है,वे कोई जानवर या पशु नही होते है।मुझे तो लगता है की,हमारा प्रेम पाने के लिए ईसी रुप में जरुर कोई,”दिव्य-आत्माएं,”बहाना बनाकर हमारे सामने आते है।और इनपर प्रेम करने से कभी भी धोका नही देते है।
जब मैं मेरे छोटेसे गांव मे रहता था,तो मेरे घर में एक सफेद रंग की गौमाता थी।बहुत ही शालीन,गरीब और सभी पर प्रेम करने वाली।
मेरे साथ हमेशा प्रेम से बहुत बाते करती थी।मैं उसे खेत में ले जाता,चारा खिलाता,धोता,उसका दुध निकालता था।
मेरी गौमाता बडे ही प्रेम से मुझे,उसकी मुलायम जीभ से हमेशा चांटकर अपना दिव्य प्रेम व्यक्त करती रहती थी।
कुछ कारण वश मेरा गांव छुट गया।मैं शहर चला आया।मेरी गौमाता वहीं गांव में रह गई।
शहर में उसकी याद तो मुझे हमेशा आती थी।कुछ दिनो बाद मेरी गौमाता मेरे सपनों में आई और मुझे बोली,”कितने देर से तुझे ढुंड रही हूं।तु मिल ही नही रहा था।मैं अब स्वर्ग जा रही हूं।तुझे बताने के लिए मैं यहां आई थी।”
और थोडे दिनों बाद सचमुच में मुझे मेरे गांव से एक संदेशा आया,”अपनी गौमाता अब नही रही।उसकी मौत हो गई।”
यह सुनकर मैं बहुत रोया था।
और………
क्रुर इंसान आज गौमाता को,केवल जानवर समझकर काटकर खा रहा है। हैवानियत की भी कोई हद होती है।और दुख की बात यह है की हमारे ही कुछ “जयचंद,”सत्ता-संपत्ती के लिए,हैवानीयत का साथ देते है?धिक्कार है ऐसे पापींओं का।
जीतने धोके हम इंसानों से खाते है,शायद इतने धोके तो हमें पशु पक्षी भी नही देते है।उनपर पवित्र प्रेम करने से वह केवल और केवल,पवित्र प्रेम ही करते है।धोका कभी भी नही देते।
हरी ओम्।🙏
————————- विनोदकुमार महाजन
अब सुनो पद्मा गौमाता की सुंदर कथा…
पदमा गाय – जिसका दूध बाल कृष्ण पिया करते थे
पदमा गाय का बड़ा महत्व है पदमा गाय किसे कहते है पहले तो हम ये जानते है – एक लाख देशी गौ के दूध को १०,००० गौ को पिलाया जाता है,उन १० ,००० गौ के दूध को १०० गौ को पिलाया जाता है अब उन १०० गायों के दूध को १० गौ को पिलाया जाता है अब उन १० गौ का दूध काढकर १ गौ को पिलाया जाता है. और जिसे पिलाया जाता है, उस गौ के जो “बछड़ा” ‘बछड़ी” होता है उसे “पदमा गाय”कहतेहै.
ऐसी गौ का बछड़ा जहाँ जिस भूमि पर मूत्र त्याग करता है उसका इतना महत्व है कि यदि कोई बंध्या स्त्री उस जगह को सूँघ भी लेती है तो उसे निश्चित ही पुत्र की प्राप्ति हो जाती है.
ऐसी एक लाख गाये नन्द भवन में महल में थी जिनका दूध नन्द बाबा यशोदा जी और बाल कृष्ण पिया करते थे, तभी नन्द बाबा और यशोदा के बाल सफ़ेद नहीं थे सभी चिकने और एकदम काले थे चेहरे पर एक भी झुर्री नहीं थी, शरीर अत्यंत पुष्ट थी.
ऐसी गौ का दूध पीने से चेहरे कि चमक में कोई अंतर नहीं आता, आँखे कमजोर नहीं होती, कोई आधी-व्याधि नहीं आती.इसलिए नंद बाबा के लिए सभी कहते थे ‘साठा सो पाठा” अर्थात ६० वर्ष के नंद बाबा थे जब बाला कृष्ण का प्राकट्य हुआ था पर फिर भी जबान कि तरह दिखते थे.
_____श्री राधा विजयते नमः
जब गोपियों ने पदमा गौ के मूत्र से बाल कृष्ण का अभिषेक किया
जब पूतना का मोक्ष भगवान ने किया उसके बाद पूर्णमासी, रोहिणी, यशोदा और अन्य गोपियाँ बाल कृष्ण की शुद्धि के लिए उन्हें पदमा गौ कि गौशाला में लेकर गई. रोहिणी जी पदमा गौ को कुजली करने लगी अर्थात प्यार से सहलाने लगी,
यशोदा जी ने गौ शाला में ही गोद में बाल कृष्ण को लेकर बैठ गई और पूर्णमासी उस गौ की पूंछ से, भगवान के ही दिव्य नामो से झाडा (नजर उतारने) देने लगी.
उसी पदमा गौ के मूत्र से बाल कृष्ण को स्नान कराया, गौ के चरणों से रज लेकर लाला के सारे अंगों में लगायी. और गौ माता से प्रार्थना करने लगी की हमारे लाल को बुरी नजर से बचाना.
गऊ सेवा करो मेरी राधे जू के प्यारो अनंत कृपा बरसेगी
जय जय गैया मैया।
जय-जय श्री राधे कृष्णा जी 🙏🙏
संकलन : – विनोदकुमार महाजन