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मुझे मोदिजी, योगीजी का सहयोग चाहिए !!!

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वैश्विक स्तर पर मुझे मोदिजी, योगीजी, अमीत शाहजी का संपूर्ण सहयोग चाहिए !!!
( लेखांक : – २१११ )

विनोदकुमार महाजन
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सनातन हिंदू संस्कृति को,सत्य को,ईश्वरी सिध्दांतों को विश्व के कोने कोने में वायु गति से फैलाने के लिए एक जबरदस्त, तगडी, वाँटरप्रुफ, साउंडप्रूफ, एअरप्रुफ, बुलेटप्रूफ रणनीति की सख्त जरूरत है !

और ईश्वरी कृपा से ऐसी तगड़ी रणनीति मेरे दिमाग में तैयार है !

मेरे अनेक मित्र, मोदीजी, योगीजी, अमीत शाहजी के अत्यंत करीबी है ! और मेरे अनेक लेख,शायद ऐसे महात्माओं तक पहुचते होंगे,ऐसी आशा करता हुं !
मेरा यह मनोगत भी उनतक पहुंचेगा ऐसी आशा है !
आप सभी का सहयोग भी मिलेगा, ऐसी आशा रखकर, यह लेख लिख रहा हुं !

मेरे अनेक मित्र, मेरे अनेक लेख,देशविदेशों में भी भेजते रहते है,यह मेरा परम सौभाग्य भी है,और उन सभी मित्रों का प्रेम देखकर मुझे आत्मसंतुष्टि भी मिलती है !

मगर इससे कार्य आगे नहीं बढेगा ! जमीनी तौर पर कार्य वायुगती से आगे बढाने के लिए एक जबरदस्त शक्तिशाली रणनीति बनानी पडेगी ! जो रणनीति सत्य सनातन धर्म को वायुगती से विश्व के कोने कोने में पहुंचाने के लिए सहायक होगी !

केवल दिवास्वप्न देखना ठीक नहीं है , तो वह स्वप्न प्रत्यक्ष कृती में लाने के लिए, दिनरात जी तोड मेहनत करना, और अंतिम ध्येयसिद्धि तक पहुंच जाना यह हम सभी का उद्देश्य होना चाहिए !
विपरीत परिस्थितियों में लडकर भी अनुकूल परीणाम या अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए, निरंतर अनेक योजनाएं बनाते रहना ही हमारे जीवन का उद्देश्य रहना चाहिए !

आप सभी का संपूर्ण प्रेम और सहयोग से कार्य सफलता की ओर जाने में मुझे अत्यधिक आनंद मिलेगा !

संयोग से और सद्गुरु कृपा से,मुझे कार्य सफलता के लिए अनेक देवीदेवताओं के,सिध्दपुरूषों के आशीर्वाद तथा वरदहस्त मिले है ! अब जरूरत है, वैश्विक कार्य में गति पकडऩे की !

कल रात इसी विषय पर, मोरिशस के मेरे परम मित्र, श्री. हेमंत पंडाजी के साथ, लगभग दो घंटों तक चर्चा हो गई !
मुझे कार्य सफलता के लिए, हेमंत जी ने मोरिशस आने का न्यौता दिया,और वहाँ मोरिशस में…वैश्विक कार्य का ” बेसमेंट ” बनाने के लिए, संपूर्ण सहयोग करने का अभिवचन दिया है, यह मेरा बहुत बडा सौभाग्य है !
हेमंत जी के अनेक देशों में,अनेक मान्यवरों से संपर्क है,जो वैश्विक क्रांति की लहर निर्माण में गती प्रदान करने में सहायक होगा !

इसी विषय के अनुसार मैं भारत सरकार को,मोदिजी को,योगीजी को,अमीत शाहजी को नम्र निवेदन करना चाहता हूं की,
मुझे मेरे वैश्विक कार्य को गती देने के लिए, आप सभी का,आत्मीय और संपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा ,ऐसी अपेक्षा करता हुं !

मुझे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसा शक्तिशाली पद चाहिए की मैं जब चाहे ,किसी भी देश में रहकर कार्य को बढावा देने के लिए, रह सकुंगा !

संस्कृति संवर्धन हेतु मैं अमरीका में रहुंगा तो जीयो बायडन,या डोनाल्ड ट्रंप जी को मिल सकूंगा ! इंग्लैंड में ऋषि सुनक जी को मिल सकूंगा ! इस्राएल में नेतान्याहू जैसे शक्तिशाली नेता को मिल सकूंगा ! या फिर रशीया में पुतीन जी को मिल सकूंगा !
जापान, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, पोलैंड, मलेशिया, हाँगकाँग, इटली जैसे देशों के मान्यवरों को,जब चाहे तब जाकर,मिल सकूंगा !
और इसी माध्यम से ,वैश्विक स्तर पर,संस्कृति संवर्धन तथा संस्कृति निर्माण के कार्य को गति दे सकूंगा !

वहाँ के राष्ट्र प्रमुखों के कार्यों को बढावा देने के लिए, एक शक्तिशाली किताब लिखकर,उन सभी की लोकप्रियता बढाने से, उन सभी का सहयोग से,हमें सभी का संपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा,जो हमारे वैश्विक कार्य को गती देने के लिए उपयुक्त होगा !

संबंधित देशों के हिंदुओं को तथा संपूर्ण हिंदुधर्म प्रेमीयों को एक करके,उनकी अनेक योजनाओं द्वारा शक्ति बढाऊंगा !

अनेक इसाई देश,बौध्द देश,मुस्लिम देशों में रहकर ( दुर्भाग्य से विश्व पटल पर
हिंदुओं के लिए, हिंदू देश नहीं है ! )
अनेक देशों के हिंदुबहुल क्षेत्र में रहकर, ईश्वरी सिध्दांत, मानवता,सत्य और सत्य सनातन धर्म का प्रचार – प्रसार कर सकूंगा !

मोरिशस, नेपाल, भूतान,श्रीलंका, मँनमार जैसे हिंदू बहुल क्षेत्रों में रहकर, सत्य धर्म अर्थात सत्य सनातन का प्रचार – प्रसार कर सकूंगा !
और
” अखंड भारत निर्माण कार्य में ”
उस संबोधित देशों की और समाजमन की मानसिकता बना सकूंगा !

हर व्यक्ति के मन,बुध्दि, आत्मा में प्रवेश करके,सत्य सिध्दांतों का महत्व उन सभी को,अनेक माध्यमों द्वारा समझाकर अपेक्षित परिणाम साध्य हो सकते है !

साथीयों,
” मैं अकेला क्या कर
सकता हूँ !”
ऐसी विचार धारा त्यागकर,
” मैं अकेला ही बहुत कुछ कर सकता हूँ ! ”
ऐसी रास्त विचारधारा हमें स्विकारनी होगी,और हर कदम दृढ निश्चय से कामयाबी की ओर बढना होगा !

नामुमकिन लगता है आपको यह सब ?
तीव्र इच्छाशक्ति के सामने नामुमकिन शब्द कुछ भी मायने नहीं रखता है !

मोदिजी को देखो…
तीव्र इच्छाशक्ति के बलपर संपूर्ण विश्व को अपने पिछे ले आने में…
” यह महामानव ! ”
संपूर्ण कामयाब हो गया है !

अगर ऐसे महामानव के आशिर्वाद और संपूर्ण सहयोग हमें प्राप्त होगा…तो…?
नामुमकिन कुछ रहेगा ही नहीं !

आगे की मेरी यही तलाश है और यही रणनीति है की जल्दी से जल्दी वैश्विक पटल पर तेज गती से कार्यान्वित होने के लिए अनेक सहकारी मिल सकें !

रणनीति यह भी बनानी पडेगी की,उस संबंधित देश में किसी के कानों तक …हिंदुत्व का कार्य बढाने की खबर तक नहीं लगनी चाहिए !

मानवता का नाम,
सनातन का काम !
( यही एजेंडा मदर तेरेसा ने हमारे देश में चलाया ना ? )

क्योंकि सत्य के और सत्य सनातन के अनेक हितशत्रु हमारे सिध्दांतों पर प्रहार करने के लिए, दिनरात तैयार बैठे हैं और मैकाले की तरह रणनीति बनाकर, उसमें यशस्वी होने में माहिर हैं !
इसीलिए गुप्त रूप से ईश्वरी कार्यों को तेज गती से आगे बढाना होगा !

हम सभी के बाँस,हमारे जेम्स बॉन्ड, मास्टर माईंड,अजीत डोभाल जी की तरह,गुप्त रूप में रहकर,कार्य कैसे सफल बनाना है,यह एक शक्तिशाली रणनीति हमें बहुत कुछ सिखाती है !

इसी माध्यम द्वारा अनेक देशों में संस्कृति पुनर्निमाण के लिए, लोगों को जादा मात्रा में जोडने के लिए,धिरेधिरे गुरूकुल, गौशाला जैसे अनेक प्रयोग यशस्विता की ओर ले जाने में सहायक होंगे !

अनेक भाषाओं में विविध सांस्कृतिक किताबों का निर्माण,सांस्कृतिक फिल्मों का निर्माण जैसे अनेक प्रभावी उपक्रम हमें जल्दी अच्छे परिणामों तक ले जा सकते है !

यह कार्य अत्यंत सुसुत्रता से और जबरदस्त तरीकों से इस्कॉन के तथा आर.एस.एस.के माध्यम से आगे बढाया भी जा रहा है ! मगर उसमें…
यूगपरिवर्तन के लिए…
और तेज गती पकडने की जरूरत है !
ऐसी मेरी व्यक्तिगत धारणा है !

और आशा करता हुं की मुझे भी इस्कॉन तथा आर.एस.एस.का भी ,वैश्विक स्तर पर,संपूर्ण सहयोग प्राप्त होगा !

देशविदेशों के मेरे सारे बांधव भी मेरे इस वैश्विक ईश्वरी कार्यों के लिए यथोचित सहयोग करेंगे, ऐसी आशा भी करता हूँ !

स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो के धर्म परिषद में वैश्विक कार्य की जो जबरदस्त शक्तिशाली नींव तो पहले से ही रखी है…उस कार्य को वायुगती से विश्वपटल पर आगे ले जाना हम सभी भारतीयों का दाईत्व है ! और हर भारतीय यह दाईत्व निभायेगा ऐसी अपेक्षा है !

सावरकरजी के,सुभाष बाबू के महान कार्य हमें चौबीसों घंटे मार्गदर्शक साबित हो रहे है !
निरंतर प्रेरणा भी दे रहे हैं !

प्रतिकूलता में भी अनुकूलता कैसी प्राप्त की जा सकती है… इसका यह एक जबरदस्त उदाहरण है !

हमारे शिवाजी महाराज जी ने
” हिंदवी स्वराज्य निर्माण ” की एक जबरदस्त शक्तिशाली योजना तथा यशस्वी रणनीति हमारे हाथों में पहले से ही दी रखी है !

पेशवाओं ने भी इसका बेजोड़ कार्य हमारे सामने आदर्श के रूप में पहले से ही रखा है ! बाजीराव पेशवा की तरह यशस्वी रणनीति बनाकर, आगे बढेंगे तो…
” पाणीपत ”
का भयंकर कलंक भी धो डालेंगे !

संभाजीराजे, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, झाँसी की राणी,गुरु गोविंद सिंह जी,बंदा बैरागी,नानकजी जैसे अनेक योध्दाएं हमें सदैव एक जबरदस्त शक्ति तथा प्रेरणा देते रहते है !

भगवान परशुराम,श्रीराम का अलौकिक कार्य,भगवान श्रीकृष्ण का तेजस्वी और हर समय में उपयोगी रहनेवाला अवतार कार्य,और यशस्वी सूत्र,भगवत् गीता का महानतम उपदेश,
हम सभी को,सभी भारतीयों को निरंतर उच्च प्रेरणा तो देता ही रहता है !

आचार्य चाणक्य, यूगपुरूष विक्रमादित्य राजा जैसे अनेक शक्तिशाली स्त्रोत हमें निरंतर स्फुर्ति, चुस्ती, धैर्य ,प्रेरणा देते रहते है !

साथियों, समय शांति से बैठने का नहीं है, कुछ कर दिखाने का है, बहुत कुछ कर दिखाने का है !
“यह यूगपरिवर्तन का समय है !”

और असीम ईश्वरी कृपा से हम हमारे कार्यों में, उद्दीष्टों में यशस्वी होकर ही रहेंगे ऐसा दृढ विश्वास मन में रखकर आगे की रणनीति बनाते हैं!
ऐसा दृढविश्वास और दृढसंकल्प,यशस्विता हासिल करने के लिए हमारे लिए काफी उपयुक्त रहेगा !

ईश्वर ने हमें शायद इसी कार्य सफलता के लिए ही यहाँ भेजा होगा !
या फिर पिछले जन्म का हमारा यह कार्य अधूरा रह गया होगा,जो हमें हर हालत में पूरा करना ही है !

चलो साथ मिलकर आगे बढते है !
असंभव को संभव में बदल देते है !

दोस्तों,
वैयक्तिक तौर पर मुझे कुछ भी नहीं चाहिए !
ना धन चाहिए, ना मान – संन्मान, बंगला गाडी चाहिए !
उच्च कोटि का बैराग्य मुझे झोपड़ी में भी आनंदित रखता है !
और सूखी रोटियां मिलने पर भी खुश रखता है !
मगर सत्य सनातन धर्म का कार्य आगे बढाने के लिए, मुझे और आप सभी को भी आवश्यक सभी सुविधाओं की और साधनों की जरूरत तो लगेगी ही लगेगी !

हर हर महादेव !
जय जय श्रीराम !
हरे कृष्णा !
हरी ओम्

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