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चक्रव्यूह भेदन करके,हिंदुराष्ट्र हमें बनाना है !!!

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क्या सत्य चक्रव्यूह में फँसा हुवा है ???
( लेखांक : – २०६५ )

विनोदकुमार महाजन
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सत्य,
जो ईश्वर के हृदय में निरंतर वास करता है !
और असत्य ?
क्या राक्षसों के अंदर सदैव छुपा हुआ होता है ?
चाहे कुछ भी
सत्य – असत्य की लडाई निरंतर चलती रहती है !
और हमेशा हार असत्य की होती है, और अंतिम विजय सत्य की ही होती है !

मगर सत्य हमेशा परेशान रहता है…मगर फिर भी सत्य कभी भी पराभूत नही होता है !

इसीलिए सत्यवादी भी हमेशा परेशान रह सकता है !
मगर उसके चेहरे पर पराभव की परछाईं भी नही दिखाई देती है !
उल्टा कितना भी भयंकर मुसिबतों का दौर चल रहा हो,सत्यवादीयों के चेहरों पर हमेशा आत्मविश्वास का तेज ही,झलकता है, दिखाई देता है !
आत्मविश्वास दिखाई देता है !

और असत्यवादी हमेशा भयभीत रहते है !

अब देखते है विस्तार से विवेचन !

क्या आज सत्य, सत्यवादी, सत्याचरणी परेशान है ?
असत्य के प्रभाव के कारण सत्य दबा सा हुवा है ?
अधर्म ही असत्य का दूसरा रूप होता है ?
क्या यही अधर्म ने और अधर्मावलंबीयों ने सत्य को और धर्मावलंबियों को चारों तरफ से घेर के रखा है ?

अदृश्य साँप और अजगरों द्वारा ?

अब,
हम हमारे कुछ मुसिबतों के बारें में विश्लेषण करते है !

क्या हमारा सत्य भी आज संशय के कटघरे में खडा है ?
क्या हमारा सत्य भी असत्य ने चारों तरफ से घेर के रखा है ?
क्या सचमुच में आज सत्य भयंकर चक्रव्यूह में फँसा है ?
हर सत्यवादी व्यक्ति असत्य के प्रभाव के कारण भयंकर परेशान है ? उसमें फिर प्रारब्ध गती के भोग भी भयंकर पिडा दे रहे है ? परेशान कर रहे है ?

हमारे जीवन में कभी कभी इतनी भयंकर मुसीबतें आती है की,जीवन ही असह्य हो जाता है ! मुसीबतों के चक्रव्यूह में हम कभी कभी ऐसा भयंकर फँस जाते है की,लगता है की,यह भयंकर मुसीबत ही हमारा सर्वनाश कर देगी !
ऐसे भयंकर विपदाओं के क्षणों में स्थिर बुध्दि से अचूक निर्णय लेने पडते है,और मुसिबतों का चक्रव्यूह भेदन करना पडता है !

अभिमन्यु तो चक्रव्यूह में फँसकर समाप्त हो गया ! प्रत्यक्ष परमात्मा साथ में होकर भी !
तो हम हमारे जीवन में ऐसे भयंकर चक्रव्यूह भेदन करके सहीसलामत बाहर कैसे आ सकते है ?
कभी कभी नियती और नशीब भी भयंकर अग्निपरीक्षाएं लेते है !
पग पग पर मुसीबत ! हर पल मुसीबत !
जीवन ही समाप्त हो जायेगा ऐसा भी कभी कभी लगने लगता है !

इतना भयंकर संघर्ष ?
और हल कुछ भी नही !
लगातार संघर्ष !

हम यह चक्रव्यूह भेदन करके बाहर कैसे आयेंगे ? यही एकमात्र सोच दिमाग में निरं चलती रहती है !
मान – अपमान – यश – अपयश – संन्मान यह बाते बाद की होती है !
पहले ? चक्रव्यूह भेदन !

मुसीबतों के भयंकर दौर में स्वकीय – परकीय शत्रु भी इतने शक्तिशाली और ताकतवर होते है की,मुसीबतों के दौर में हमें बाहर निकालने के बजाय,सहयोग करने के बजाए, चारों तरफ से हमें घेरकर, हमें समाप्त करने की निती बनाते है !
अथवा… यह समाप्त कब होगा…?
इसका दूर रहकर इंतजार करते रहते है ?

धिरेधिरे चक्रव्यूह भेदकर हम आगे निकलते है,जितने हम ताकतवर बनते जाते है,ईश्वर भी हमारी हर पग पर ,पग पग पर,बडी कठिन परीक्षाएं भी लेता है !
अग्निपरीक्षाएं भी और सत्वपरीक्षाएं भी !

बडे बडे जहरीले दृश्य अदृश्य अजगर, जहरीले साँप, हमारे येनकेन प्रकारेण… रास्ता रोकने की कोशिश में रहते है !

अनेक आर्थिक मुसिबतें,अनेक बिमारीयाँ,हितशत्रुओं के गुप्त कारस्थान हमें ऐसे परेशानियों में डालते है की…जीवन ही असह्य हो जाता है !

ऐसे क्षणों में बिल्कुल ठंडे दिमाग से,जान बचाकर आगे निकल जाना ,चक्रव्यूह भेदन करना ही हितकारी होता है !

और तो और…जैसे जैसे हम यशस्विता की सीढियों को उपर चढने का प्रयास करेंगे, उतनी मुसीबतें भी बढने की संभावना भी बढेगी !

ईश्वर थोडे ही,युं ही अंतिम मुकाम तक पहुंचा देता है ?
अनेक कठोर परीक्षाओं के बाद ही यशस्विता हमें साध्य होने देता है !

हर एक मनुष्य प्राणी को मुसिबतों के भयंकर दौर से गुजरना ही पडता है ! भयंकर चक्रव्यूह भेदन करके ही आगे का रास्ता निकालना पडता है !

जिस प्रकार से ,लगभग सभी सत्यवादीयों को आज चारों तरफ से असत्य ने ,परेशानियों में डाल रखा है,ठीक उसी तरह से…
सत्यवादीयों के सत्य आचरण को,

और…
सत्य सनातन धर्म को भी असत्य ने और असत्य वादीयों ने आज चारों तरफ से घेर रखा है ?
या फिर चारों तरफ से चक्रव्यूह बनाकर, घेरने की कोशिश की है ? या की जा रही है ?

और सचमुच में एक अतिशय महत्वपूर्ण मुद्दा भी यह है की,
क्या इस देश में बहुसंख्यक हिंदु समाज होकर भी,…

हिंदुराष्ट्र बनाने में भी अनेक बाधाएं, अडचने, मुसिबतें डाल रखी है ?
आसानी से यह हिंदुराष्ट्र ना बनें ऐसी कोई भयंकर रणनीति…
असत्य ने बनाकर नहीं रखी है ?
अगर हाँ…

तो इसका खलनायक कौन है ?
और इसकी काट क्या है ?
आखिर, ऐसी भयंकर जटिल समस्या का हल निकालने का अंतिम उत्तर भी क्या है ?

यह एक भयंकर शातिर दिमाग से बनाया हुवा भयंकर चक्रव्यूह ही है !
और हम ईश्वरी सिध्दांतों पर चलने वालों को यह भयंकर चक्रव्यूह भेदन भी करना है !
एक शक्तिशाली रणनीति द्वारा !

आसुरीक शक्ति वालें व्यक्ति – समुह ने, ईश्वरी सिध्दांतों के अंतिम विजय तक ना पहुंचाने के लिए, अनेक अदृश्य बेडियों में बाँधकर रखा है ? जकडकर रखा है ?
तो…निश्चित रूप से… यह…साजिश द्वारा,
भयंकर चक्रव्यूह द्वारा राक्षसी सिध्दांतों को बढावा देने का ,
” सुपर पाँवरफुल – मेगा प्लान ”
आसुरीक सिध्दांतों द्वारा बनाके रखा है ?

बहुमात्रा में यहाँपर ईश्वर प्रेमी समाज होकर भी,ईश्वराधिष्ठीत समाज निर्माण तथा ईश्वरी सिध्दांतों की ,ऐसे भयंकर चक्रव्यूह भेदन द्वारा,अंतिम जीत का पर्याप्त उपाय तथा पर्याय कौनसा है ?

हम ईश्वर प्रेमियों को,
तेजस्वी ईश्वर पुत्रों को यह भयंकर शातिर दिमाग से बनाया हुवा चक्रव्यूह भेदन, बिल्कुल ठंडे दिमाग से करना होगा !
और सहीसलामत बाहर निकलकर, ईश्वराधिष्ठीत समाज निर्माण के लिए, तथा सत्य की अंतिम जीत के लिए…
यथाशीघ्र…

हिदुराष्ट्र बनाना ही होगा !
यही एकमेव सभी भयंकर समस्याओं का परिणाम कारक उत्तर भी है !

अखंड भारत निर्माण की यह शुरुआत होगी तथा वैश्विक सनातन धर्म बनाने की प्रक्रिया इसी माध्यम से, यथाशिघ्र आरंभ होगी !

इसीलिए,

कौन बनेगा विजेता ?

जो जीता… वही बनेगा,
आचार्य चाणक्य !
जो जीता…वही बनेगा,
विक्रमादित्य !

कौन बनेगा यशस्वी चाणक्य ?
कौन बनेगा यशस्वी विक्रमादित्य ?
कौन बनेगा ऐसा भयंकर चक्रव्यूह भेदन करनेवाला
प्रखर सेनानी ?

क्योंकि अब,अभिमन्यु बनकर चक्रव्यूह में फँसना, अटकना, लटकना नही है !समाप्त होना नही है !
बल्कि ,
यशस्वी रणनीति बनाकर,
चक्रव्यूह भेदन करके,बाहर आकर,
ईश्वराधिष्ठीत, ईश्वर निर्मित सत्य की,सत्य सनातन की अंतिम जीत का ,वैश्विक सनातन धर्म ध्वजा को लहराने का…
सौभाग्य हम सभी को प्राप्त करना है !!!

विश्व गुरु भारत बनाना है !

और हमारे अंतिम उद्दीष्ट में हम जीतकर ही रहेंगे !
क्योंकि हम हारने वालों में से नहीं बल्कि, सदैव जीतने वाले ही है !
इसिलए यह भयंकर चक्रव्यूह भेदन करके,बाहर निकलेंगे भी…और सत्य की ध्वजा संपूर्ण विश्व में लहराकर ही दिखायेंगे !
ईश्वर निर्मित सत्य सनातन संस्कृति का धर्म ध्वज विश्व में लहराकर ही दिखाएंगे !

क्योंकि हम सभी…
जी हाँ मेरे प्यारे सभी साथीयों, हम तेजस्वी ईश्वर पुत्र है !
देवीदेवताओं का धधगता ईश्वरी तेज हमारे अंदर है !

यह एक लडाई है,और…
इस लडाई में जो ईश्वरी सिध्दांतों का स्विकार करेगा…
वह निश्चित जीतेगा ही जीतेगा !
और विरोध के लिए सिध्दांत विहीन विरोध करेगा…
उसे ???
खुद ईश्वर ही जवाब देगा !

मरे रावण,कँस,दुर्योधन, दु:शासन,हिरण्यकशिपु जैसे महादानव !
मरे कोल्हासुर,भस्मासुर,चंड,मुंड जैसे हाहाकारी महादानव !

भविष्य में भी मरेंगे सारे के सारे,धरती पर आनेवाले, हाहाकारी ,उन्मादी,उन्मत्त, परपिडा देने में धन्यता मानने वाले महादानव !

युगों युगों से चलता आया यह भयंकर उग्र…
देव – दानव का,
सुर – असुरों का,
महाभयंकर संघर्ष !!!

और जीतता आया सदैव ईश्वरी सिध्दांत !

हर हर महादेव !
जय जय श्रीराम !
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【 गणेश जी के आगमन पर,सभी ईश्वर प्रेमीयों को,धरती पर, पुनश्च…
ईश्वरी राज्य स्थापना के संकल्प के लिए अनेक शुभकामनाएं ! 】

।। शुभं भवतु ।।

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