Thu. Sep 19th, 2024
Spread the love

हनुमंता।
—————————–
हे हनुमान, तु तो चिरंजीव है।तेरा अद्रश्य जागृत चैतन्य आज भी शक्ति बनकर नभोमंडल में घुमताहै।तेरा चैतन्य, तेरा तेज आज भी जागृत है।
जनमते ही तु तो सूर्य को फल समझकर खाने को गया था।रावण की लंका को भी तुने आग लगाई थी।
फिर आज ही तेरा तेज,तेरी आग कहाँ है।हे मेरे प्रभु, तु तो भक्तों के साथ आज भी बोलता है,बाते करता है,चमत्कार करता है।
कभी कभार मुझे भी तु चमत्कार दिखाता है।
इतना होने के बावजूद भी तेरे प्यारे रामलला का मंदीर शिघ्र बनाने में तु सहायता क्यों नही कर रहा है?अधर्मी,पापीयों को सजा क्यों नही दिला रहा है।उनके पाप की लंका जलाकर खाक क्यों नही कर रहा है?
कहाँ है तेरा चैतन्य, तेरी आग,तेरा तेज?
हे हनुमान, अब अधर्म का अंधेरा मिटाने के लिए, दौडके चला आ जा।उन्मत्त पापीयों का नाश करने के लिए, पृथ्वी का पाप का बोझ हल्का करने के लिए, तेरी शक्ति दिखा।
तेरे रामजी के सिध्दांतों की जीत के लिए, भगवन्, सामर्थ्य दिखा।
लक्ष्मण को बचाने के लिए तुने,संजीवनी बूटी के लिए, द्रोणागिरी पर्बत ही उठा लाया था।
आज फिर से वही शक्ति दिखा महाबली।
ओम हं हनुमते नम:।
जय श्रीराम।
हरी ओम।
—————————–
— विनोदकुमार महाजन।

Related Post

Translate »
error: Content is protected !!