*चलो सत्य सनातन की ओर !*
*चलो हिंदु धर्म की ओर !*
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जिनकी ओंकार साधना है
वह सभी हिंदु ही है
मतलब सभी अनादी – अनंत
सनातन धर्म से ही जुडे हुए है !
इसके साथ ही इस देश में
रहनेवाले और खुद को
अहिंदु कहने वाले भी
सभी के सभी भी पुर्वाश्रमीके
हिंदुही है
क्योंकी इन सभी के पुर्वज भी
हिंदुही है !
मतलब साफ है,
देश के मेरे सभी भाई
हिंदुही है,अर्थात सनातनी
ही है !
इसिलिए मेरे सभी भाईयों को,
मैं नम्र निवेदन तथा आवाहन
करता हुं की,
अपने ” मूल सनातन सिध्दांतों ” से , ” जुड जावो ”
यही हर एक के जीवन का और मनुष्य जन्म का अंतीम
साध्य है !
अपने मूल घर में तेजीसे वापिस लौटने की प्रक्रिया यहाँ से
आरंभ होगी तो….
विदेशों में भी यह अभियान तेजीसे फैलेगा !
हम जल्दी ही हर घर में जाकर
सभी को अपने मूल सिध्दांतों से
जोडने के लिए आमंत्रित करनेवाले है !
देश में भी और विदेशों में भी !
क्योंकी यह सभी का घर है !
और यही,
” वसुधैव कुटुंबकम् ” भी है !
और ईश्वर को भी यही मंजूर है !
सभी की आत्मा एक,
सभी के पंचमहाभूतों के देह एक,
सभी का जन्म मृत्यु भी एक,
सभी की श्वास भी एक,
सभी को आहार, निद्रा, भय,मैथून ईश्वरी सिध्दांतों पर आधारित !
इतना ही नही तो,
सभी पशुपक्षीयों को भी ईश्वर ने
उपर के सभी सूत्रों को एक ही धागे में बांधकर रखा है !
तो भेद है कहाँ ?
तो व्यर्थ का झगडा भी क्यों ?
आखिर सब एक ही ईश्वर की
अलग अलग आकार की,
अलग अलग देह की एक ही संतान !
गौर से देखो,
सृष्टी पुर्नउत्पादन का और सभी सजीवों का बीज बोने का,
तरीका भी लगभग एकसमान !
एक ही समानता चारों ओर दिखाई देगी !
जब ईश्वर ही सभी को अपने पूत्र मानता है…..
तो….???
हम व्यर्थ का झगडा क्यों करें ?
इसीलिए भाईयों,
चलो ईश्वर से नाता जोडते है !
उसकी रचना और उसके सृष्टी चक्र के अनुसार,
हम सभी हमारा जीवन आरंभ करते है !
सभी सनातन की ओर वापिस आते है !
हिंदुमय विश्व बनाते है !
ईश्वर को आनंदी करते है !
कुदरत का कानून स्विकारते है !
धरती का स्वर्ग बनाते है !
आखिर चौ-याशी लक्ष योनी भी ,
सभी पशुपक्षी भी,
हमारे ही भाई है !
तो उन सभी को अभय देते है !
सभी से प्रेम से नाता जोडते है !
भूतदया द्वारा संपूर्ण पृथ्वी
का भी कायाकल्प करते है !
अंतरात्मा की पूकार सुनो !
अंदर की दिव्य ज्योति जलावो !
अंधियारा दूर भगावो !
चर्म चक्षु नही तो ज्ञान चक्षु
खोलेंगे तो ईश्वर की अगाध लिला की आत्मानुभूति लेकर रहेंगे !
इसीलिए साथियों,
चलो सनातन की ओर !
चलो हिंदु धर्म की ओर !
चलो अपने मूल सिध्दांतों की ओर !
चलो सृष्टि परिवर्तन की ओर !
हम सब मिलकर,
पृथ्वी पर फैला हुवा अंधीयारा
समाप्त करते है !
नये उजाले की ओर बढते है !
ज्योत से ज्योत जगाते चलो !
दिव्य – भव्य – अनादि – अनंत
सनातन की ओर बढते चलो !
हिंदु धर्म की ओर बढते चलो !
हरी ओम्
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*विश्वाचार्य*( विनोदकुमार महाजन ) २७/१२/२०२१