*विश्व चेतना जागृती अभियान* …
*चलो विश्व क्रांति की ओर**
भारत के अनेक पथ,पंथों में बिखरे हुए भाईयों , अब समय आया है,तुम्हारे घरवापसी का।तुम्हारे पुर्वज हिंदु थे।इसीलिए तुम सभी भी हिंदु ही हो।इसीलिए अपने पुराने घर में वापिस लौट के आ जाना।
हिंदुस्तान में भी और संपूर्ण विश्व में भी,
घर वापसी अभियान तेजी से आरंभ हो चुका है।
तो साथियों,
चलो एक नये सबेरे की ओर।
चलो विश्व क्रांति की ओर।
चलो हिंदुयम विश्व की ओर।
इसी के साथ ही संपूर्ण विश्व में फैला हुवा मानव भी सनातन ही है,यह मेरा पूरा विश्वास है।
क्योंकि सभी का जीवन ईश्वरी सिध्दांतों पर ही चल रहा है।
भेद है कहाँ ?
सभी का जन्म मृत्यु एक समान।
वह भी ईश्वर के हाथों में।
सभी का आत्मा एकसमान।
इतना ही नही तो,चौ-यांशी लक्ष योनियों का जीवन भी आत्मा से ही संबंधित है।
केवल दिखने में देहतत्व अलग।
मगर सब एक ही ईश्वर की सभी संतानें।
चर्मचक्षु से नहीं अपितु ज्ञान चक्षु से देखेंगे तो संपूर्ण साकार – निराकार विश्व ईश्वर स्वरूप ही है।
तो हम भेद क्यों और कैसे कर सकते है ? जब पशुपक्षी भी भेद नही करते है तो,हम क्यों भेद करें ?
हम सभी एक ही ईश्वर की संतान होकर,व्यर्थ का लडाई झगड़ा क्यों ?
आखिर है तो हम सभी ईश्वर पूत्र।तेजस्वी और सनातनी भी।
तो झगडा किस बात का ???
चालू वर्तमान जो हमारे हाथ में है,उसीमें हमने अनेक मतभेद – मनभेद बनाकर,अनेक धर्म,मत,पथ,पंथों के विचार स्थापित किए।
मगर सभी का मूलाधार एक ईश्वर ही है।
जो हर एक के अंदर ओंकार प्रतिध्वनियों से प्रतिबिंबित होता है।जिसको हमारी श्वास नियंत्रित करती है।
हमारा देह पंचमहाभूतों का साकार और ब्रम्ह से जुडी हमारी श्वास निराकार।
साकार निराकार ब्रम्ह हमारे ही अंदर है,और सभी का ब्रम्ह तत्व एक ही है तो….
आखिर विनावजह का लडाई झगडा ही क्यों ?
इसीलिए चलो ईश्वर से नाता जोडते है।हम जागते है,सभी को जगाते है।सभी की आत्मचेतना जगाकर,
वसुधैव कुटुम्बकम
के ईश्वरी सिध्दांतों पर आधारित
एक आदर्श नया युग आरंभ करते है।
ओमकार से नाता जोडकर, दिव्य अनुभूति लेते है।
और धिरे धिरे
सो…अहम् की दिव्य ध्वनि सुनते है।
यही अंतर्नाद है।
यही तो ईश्वरी शक्ति से एकरूपता है।
मतलब हम ही ईश्वर है।
हम ही ईश्वर पूत्र है।
इसीलिए अंदर झांककर देखो।
ओंकार की आवाज सुनाई पडेगी।
सो..अहम् की,
अहम् ब्रम्हास्मी की,
दिव्य गूंज सुनाई देगी।
और यही ईश्वर निर्मित ब्रम्ह है।
यही सनातन है।
और यही अंतिम सत्य भी है।
और इसीलिए मेरे प्यारे सभी भाईयों, तुम सभी भी सनातनी ही हो।
इसीलिए हम सभी मूल सिध्दांतों से सनातनी ही है।
तो मनभेद और मतभेद क्यों ?
इसीलिए चलो सनातन की ओर।
तो…सभी धर्मीय भाईयों,
चलो अपने पुर्वजों की ओर।
चलो अपने मूल सिध्दांतों की ओर।
चलो विश्व परिवर्तन की ओर।
चलो विश्व चेतना जागृती की ओर।
इसीलिए अब हम,
हम जल्दी ही ला रहे है…
विश्व परिवर्तन अभियान…
सभी धर्मीयों के लिए…
विश्व चेतना जागृती अभियान।
जिसमें …
हर देश में,हर शहर गांव में समाजजागृती हेतू यज्ञ,होमहवन का भी आरंभ करने जा रहे है।
अनेक माध्यमों द्वारा, अनेक किताबों द्वारा, सामाजिक, आध्यात्मिक फिल्मों के निर्माण द्वारा, टिवी, अखबारों द्वारा , वैचारिक विवेचन द्वारा, हम जल्दी ही आप सभी विश्व मानव तक पहुंच रहे है।
विश्व क्रांति अभियान हम आरंभ करने जा रहे है।
कार्य सफल बनाने के लिए जो धन की जरूरत लगेगी, उसकी पूर्तता भी आपको ही करनी है।
क्योंकि यह कार्य भी किसी अकेला का नही है तो…
हम सभी का है।
इसिलए हम जल्दी ही एक अंतरराष्ट्रीय ट्रस्ट का निर्माण कर रहे है।
तब तक के लिए,
हरी ओम्
( V.K.M. )
*विनोदकुमार महाजन*