*हिंदुराष्ट्र हमें बनाना है*
हम सभी का
भयानक प्रारब्ध
भयंकर नशीब
भयावह कर्म भी
कठोर परिश्रम द्वारा
हमें बदलना है और
हमारे दिव्य मंजिल तक
हमें पहुंचना है
भारत का भी भाग्य
हमें बदलना है
” *हिंदुराष्ट्र* ” हमें
शिघ्र बनाना ही है
आने दो कितनी भी
मुसिबतें
आने दो कितने भी
तूफान
भयंकर बडे बडे
साँपों पर भी
और उनके जहर
पर भी हमें विजय
हासिल करना है
करने दो कोई कितना
भी कोई अग्नीतांडव
हमें हजारों ” *लाक्षागृहों “*
से बचना है
सभी को भी बचाना है
*हम सभी को* केवल
*जीतना ही है*
भारत का भाग्य
बदलना है
विश्व गुरु भारत भी
बनाना है
सुजलाम् सुफलाम्
भूमी के साथ
सुसंस्कारित समाज भी
हमें बनाना है
नया समाज हमें
बनाना है
नवराष्ट्र निर्माण
करना है
*हिंदुराष्ट्र* हमें
बनाना है
उठो जागो,संगठित बनो
रोना बंद करके
*शक्तिमान* बनो
अंदर का ईश्वरी तेज
अग्नि प्रदीप्त करो
नये उजाले की ओर
नई रोशनी की ओर
बढते चलो
कदम से कदम मिलाकर
एकेक कदम नितदिन
आगे आगे बढाते चलो
संकल्प एवं प्रेरणा : –
विनोदकुमार महाजन
और सभी भारतीय
तथा
विश्व के सभी संस्कृति
संपन्न व्यक्ति