🕉 हिंदुत्व जगावो,
हिंदुत्व बढावो,
विश्व अभियान…! 🕉
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एक समय था,
जब संपूर्ण विश्व पर,
केवल और केवल,
सत्य सनातन धर्म का ही राज्य था।
और भविष्य में फिर से एक बार संपूर्ण विश्व पर केवल और केवल हिंदुओं का,सत्य सनातन का ही राज रहेगा।
सनातन धर्म ही अंतिम सत्य है।और सनातन धर्म ही ईश्वर निर्मित है।और अनादी अनंत भी है।
और सत्य कभी भी मरता नही है,और हारता भी नही है।सत्य की रक्षा भगवान हमेशा करता ही रहता है।
कुछ कारणवश, हिंदु धर्म से फारकत लेकर कुछ मत-पथ-पंथ जरूर बन गए।मगर यह पथ बन गए।मगर धर्म नही।
क्योंकि सभी मानवनिर्मित तो थे ही,और अपने अपने तत्वानुसार इस पंथों में अपने अपने विचार उस व्यक्ति द्वारा उस पंथ में डाल दिये गए।
इसीलिए उसमें पूर्णत्व की हमेशा कमी रही।
सत्य सनातन धर्म कोई मानव निर्मित नही है।खूद ईश्वर निर्मित है।और इसके कारण यही एकमेव धर्म भी है।और इसिमें केवल पूर्णत्व भी है।
जैसे की,
आत्मा की खोज।आत्मसाक्षात्कार।
आत्मा का स्वरुप।
और सो…अहम्…
द्वारा ब्रम्हांड का स्वरूप।
इसी को आद्य -आत्मा,
अर्थात आध्यात्म कहते है।और आध्यात्म केवल हिंदु धर्म ही सिखाता है।जिसमें पूर्णत्व भी है।
विज्ञान केवल दृष्य स्वरूप का विवेचन,विष्लेषण करता है।
मगर आध्यात्म तो दृष्य और अदृष्य जगत का भी स-विस्तार विष्लेषण करता है।
चौ-याशी लक्ष योनियों के देहतत्व का विष्लेषण विज्ञान जरूर कर सकेगा।मगर चौ-याशी लक्ष योनियों के आत्मा का,उसके कर्मगती का,पूर्वजन्म-पुनर्जन्म का विष्लेषण केवल आध्यात्म ही करेगा,जिसका संपूर्ण विष्लेषण हिंदु धर्म में ही किया गया है।
इसिलए संपूर्ण पृथ्वी पर आज जो भी जीव देह रूप से मौजूद है,आत्मरूप से और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उनकी तरफ देखा जायेगा तो वह सभी केवल एक आत्मा ही है,जो अनादी अनंत भी है,सनातन भी है।
यही पूर्णत्व भी है।और यही पूर्णत्व केवल सनातन धर्म ही सिखाता है।सभी मत -पथ-पंथ के लोग,व्यक्ति, समुह भी आध्यात्मिक दृष्टि से केवल सनातन ही है।
उनमें पूर्णत्व न होने के कारण वह अपने मतों पर अडिग रहते है।मगर सभी आखिर है तो सनातनी, सभी ईश्वर निर्मित।
ना दूसरा मत है और नाही मतभेद।जब सभी की
” अंदर की आँख खुलेगी,हर एक की आत्मचेतना जगेगी, सो…अहंम्…तत्व की जागृति होगी तब….
सभी की भाषा एक ही होगी।
सो…अहम्,अहं ब्रम्हास्मी।
मैं ही सनातन हुं।मैं ही अंतिम सत्य हुं।
और मैं भी हिंदु ही हुं।
तो मनभेद, मतभेद, बुद्धीभेद का और उसके द्वारा निर्मित संघर्ष का सवाल ही नही उठता है।और नाही सवाल उठेगा।
और अगर सवाल उठेंगे तो वह केवल अज्ञान स्वरूप ही होंगे,इसीलिए निरर्थक भी होंगे।
इसी मतों के अनुसार, मैं अब
हिंदुत्व जगावो,
हिंदुत्व बढावो,
का विश्व अभियान आरंभ करने जा रहा हुं।जिसमें सभी की आत्मचेतना जागृत होगी और सभी मानवसमुह को इसका दिव्यज्ञान तथा आत्मज्ञान होगा।
आज केवल मनुष्य योनी की ही चेतना जागृत करने की आवश्यकता है।क्योंकि बाकी के सभी सजीव तो ईश्वरी धर्म के अनुसार ही जीवन यापन करते है।उन सभी जीव और आत्मा का जन्म मृत्यु का चक्र तो ईश्वरी इच्छा अनुसार ही होता रहता है।और उन सभी में आत्मा की स्थिति बद्ध होने के कारण,ज्ञान की ना उन्हे जरूरत होती है,ना ही आवश्यकता।
आहार, निद्रा, भय,मैथून यह सृष्टि चक्र का और जन्म मृत्यु का उनका चक्र निरंतर ईश्वरी इच्छा से चलता ही रहता है।
इसिलए अब केवल जरूरत है केवल विश्व में फैले सभी मनुष्य समुहों को एकत्रित करके,उनकी चेतना जगाने की,उनका आत्मतत्व जगाने की।और उन सभी को ज्ञान देकर….
तु भी केवल सनातनी ही है और था भी…
यह आध्यात्मिक दृष्टि से समझाने की।
जो उन्मादी है उनको भी।
मगर उन्मादी विषय अलग स्वरूप में आता है।जैसे की आसुरिक प्रवृत्ति या आसुरिक सिध्दांतों पर अटल रहनेवाले और उसी पथ पर मृत्युपर्यन्त मार्गक्रमण करते चलनेवाले।जैसे की,
रावण,कंस,दुर्योधन, हिरण्यकशिपु, जरासंध।
और ऐसे उन्मादी लोग,व्यक्ति, समुह हमेशा ईश्वरी सिध्दांतों के विपरीत चलते है।और हाहा:कार द्वारा सभी सजीवों का जीना मुश्किल कर देते है।
खैर, यह विषय संपूर्ण अलग भी है।और ईश्वरी सिध्दांतों के अनुसार याकृष्णनिती के अनुसार इसकी तोड भी अलग है।
हिंदुत्व जगावो, हिंदुत्व बढाओ विश्व अभियान में जो निद्रीस्त है,अज्ञान है,केवल
पैसा कमाओ,ऐश करो ,
के जीवन सूत्रों में बांधकर चलते है,
या फिर केवल रोजी-रोटी में ही अटक गए है,
या फिर…
” धर्म से,समाज से,ईश्वर से….
मेरा कुछ लेना देना नही है….”
ऐसी अज्ञान की पट्टी आँखों पर बाँधकर चल रहे है,
उन सभी तक पहुंचना होगा,विविध माध्यमों द्वारा उन सभी को जागृत करना होगा।
इस ईश्वरी वैश्विक कार्य के लिए भगवान दिनरात मेरे साथ भी है,और नित्यदिन, निरंतर इसी कार्य के लिए सदैव प्रेरित भी करता है।
अब देखते है,
ईश्वर निर्मित मनुष्य समुह मेरे कार्य के लिए स्वयं प्रेरित होकर,मेरे कार्यों में गती देने के लिए,
समर्पित होकर,
तन-मन-धन से संपूर्ण रूप से ईश्वरी कार्यों के लिए,
आजीवन….स्वयंप्रेरणा से,आत्मा की आवाज सुनकर,
कितने लोग,व्यक्ति, समुह,
जुड जाते है।
जो होता है,सब भगवान की इच्छा से होता है।और जो भी होगा,भगवान की इच्छा से ही होगा।और जो भी होगा सबकुछ ठीक ही होगा।
एक बात तो पक्की तय है की,
समय करवट बदल रहा है।
भविष्य में ,
संपूर्ण पृथ्वी तल पर सनातन संस्कृति का राज फिर से आने के लिए या फिर लाने के लिए,
ईश्वर….
जो निराकार भी होता है,और समय की जरूरत हो तो साकार भी हो जाता है,
ईश्वर….प्रभु परमात्मा, भगवान,
पर्दे के पिछे से जरूर कोई
शक्तिशाली योजनाएं बना रहा होगा।
हम सभी तो केवल,
निमित्तमात्र।
🕉हरी हरी:ओम।🕉
।। ओम तत् सत् ।।
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विनोदकुमार महाजन।