दुर्लभ दर्शन…
झोपडी में रहकर खुद…
रूखी सुखी रोटी खाकर
केवल एक आशिर्वाद से
दुसरों को करोडपती बनाते है
दुखितोंको दुखमुक्त बनाते है
ऐसे महासिध्दयोगीयों के दर्शन
बहुत ही दुर्लभ होते है
जिसे भी ऐसे महापुरूषों के
दर्शन हो गये…
समझो,उसके भाग्य के दरवाजे
खुल गये…
ऐसे दुर्लभ दर्शन ढुंडने से नही
बल्की पुण्यसंचय से ही
मिलते है…
हरी ओम्
विनोदकुमार महाजन