Fri. Oct 18th, 2024
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” *चलो साथियों* ”

चलो साथीयों चलो ,
क्रांति की ओर चलो,
नवसमाज निर्माण की
ओर चलो !

हर एक को अब राम,
कृष्ण,राजे शिवबा बनकर
धधगता ईश्वरी तेज अपनाकर
आगे आगे है बढना !

नवसमाज निर्माण के लिए,
कंधे से कंधा मिलाकर,
एक एक कदम आगे है बढना !

सबको साथ लेकर है चलना !
चलो साथीयों चलो,
नवराष्ट्र का भी अब हमें,
निर्माण है करना !

और साथियों…मैं
अकेला थक जाऊंगा,
मिलकर बोझ उठाना
साथी हाथ बढाना साथी रे !

” *साथी हाथ बढाना !*
*साथी हाथ बढाना !* ”

भ्रष्टाचार, स्वैराचार पर अब
सब मिलके है प्रहार करना !
हैवानियत भरे नंगानाच
करनेवाले हाहाकारी यों पर भी,
अब है जमकर प्रहार करना !

समाज में छुपे हुए रावण,
दुर्योधन, कंस,
हिरण्यकशिपु पर भी,
अब हमें है चारों तरफ से वैचारिक हमले करना !

चलो मेरे प्यारे साथियों चलो,
अब हमें है युग बदलना !

कानून को नही डरने वालों
को भी अब,
कानून के दायरे में रहकर ,
ही है सबक सिखाना !

चलो साथीयों चलो हर पल,
हर दिन बिना थके हारे हमें है,
आगे आगे ही बढना !

नितदिन नया चैतन्य लेकर,
अंदर का ईश्वरी तेज जगाकर,
हमें है मंजिल की ओर बढना !

और संपूर्ण जीत हासिल करके, हमें दुनिया है बदलना !

चलो साथियों चलो,
चलो साथियों चलो !
मंजिल की ओर चलो,
कदम से कदम मिलाकर
आगे आगे चलो !

।। ओम् तत् सत् ।।

शब्दांकन : – *विनोदकुमार महाजन*

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